tag:blogger.com,1999:blog-23631908675588555592024-02-19T18:30:50.016-08:00विरल त्रिवेदीViralhttp://www.blogger.com/profile/08141316200456711008noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-2363190867558855559.post-55997129195146414492013-02-09T04:46:00.000-08:002013-02-09T04:46:08.505-08:00यही तो रहा है आज 'करतब' <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgBcmJrQ6xzQjs-yqx7z_mSoKdK34F_avcfR90eYWfNwrkK9e8KPfZXDErxkF88sszekdXYtnq7IHKMUBzTE1m_-oj6KjVH8EwqbkSL7UtYdr7PkNFFBVvquOnjtea2mD2GBuLN9UCjF5F2/s1600/Photo-0044.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="640" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgBcmJrQ6xzQjs-yqx7z_mSoKdK34F_avcfR90eYWfNwrkK9e8KPfZXDErxkF88sszekdXYtnq7IHKMUBzTE1m_-oj6KjVH8EwqbkSL7UtYdr7PkNFFBVvquOnjtea2mD2GBuLN9UCjF5F2/s640/Photo-0044.jpg" width="480" /></a></div>
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ये लड़की चाहे कितना भी पसीना बहाए, रस्सी पर अपनी एडिया घिस ले मगर उसे मिलाता क्या है? सिर्फ दो वक्त की रोटी। चाहे कितने भी करतब करे मगर उसे बहेतारिन जीवन नहीं मिलेगा। लोगो का तो काम ही है तालीया पीटना। जीतनी देर तक ये लड़की रस्सी पर चलती है उतनी देर तक तो वो लोगो के दिमाग में भी नहीं रहेगी। पाच - दस रुपये फेक कर चले जायेंगे। और लोग के पास समय भी नहीं है। उन लोगो के पास भी सोचने के लिए समय नहीं जो समाज के ठेकेदार बन कर बैठ गए है। हम तो आम आदमी है। मगर हम नहीं सोचते की उन्हें ठेकेदार बनता कौन है? और इस लड़की ने ऐसा भी क्या करतब कर दिया। करतब तो वो लोग करते है जो दिखता ही नहीं। बड़े बड़े जादू करते है वो लोग। कैसे करोडो रुपये विदेशी बेंको में जमा हो जाते है पता ही नहीं चलता। मगर लोगो का काम है सिर्फ ताली बजाना। बड़े बड़े लोगो के बड़े बड़े करतब। आम आदमी को समज में नहीं आते। दिखाने वाला भी तो कोई नहीं। दिखाने वाले भी वही दिखाते है जो दिखाने की उन्हें कीमत मिलती है। बड़े बड़े लेखानिकार भी ग्लोबल बनना चाहते है। तभी तो वे बड़ा बनते है। राह दिखाने वाले भी राह भटक गए है और वे भी भटक भटक कर दम तोड़ देंगे। करतब तो हर रोज सुबह साम रात दिन होते रहेते है। वादे करके छू मंतर हो जाना ये भी तो एक करतब है। मासूम और बेकसूर लोगो की जिन्दगिया हलके से तबाह हो जाती है और डटके लड़ने वाले को सुरंग से पत्थर की तरह तोडा जाता है। किसी को फोड़ा जाता है। कुछ लोग बड़ी खूबसूरती से अपना जादू चलाते है। आसमान की बुलंदियों पर बिठाया जाता है मगर बिठाने वाले कौन है? हेर तंगेज कारनामे होते ही रहेते है। किसी को चुपके से दफ़न कर दिया जाता है पता ही नहीं चलता। लोग फिर तालिय बजाते है। पिछले करतब दिमाग से ओजल हो जाते है। और याद भी कितना रखे? जादू है नशा है मदहोसिया है---<br />
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हर दिन नया करतब और हर रात नए जादू। बिना कुछ उपलब्धि के उपलब्धियो के चित्र दिखाए जाते है। हमने ये किया, हम वो करेंगे, हम ये देंगे, हम वो दिलवाएंगे। आम आदमी को तो सिर्फ ताली ही बजानी है। पैसे देकर करतब देख लिया और अब तो एक मशीन पर उंगली दबाकर नए करतब के लिए पंजीकरण करावा लिया। उन लोगो के बंगले की हिफाजत करते है जो उनकी जोपडिया जलाने पे तुले हुए है। सर कट जाते है और चीखने की आवाज तक नहीं आती। </div>
Viralhttp://www.blogger.com/profile/08141316200456711008noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-2363190867558855559.post-974041070808863082013-01-19T01:01:00.000-08:002013-01-19T01:01:50.341-08:00गुजरात के वीर सपूत की शौर्यगाथा : अलविदा रणछोड़ पगी...<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<table cellpadding="0" cellspacing="0" class="tr-caption-container" style="float: left; margin-right: 1em; text-align: left;"><tbody>
<tr><td style="text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhEnGjnGzEtFhqinmAI1Etc7Zd5NpP4EI7k49SprbMEYho94o20oc2KkCiaPOM3j1utxZoCFZf9I6Zge6l-X-1lLZon77Nk4CgiqbWa4Uk_N1z0To2XAGED4tMeVM4oPIh_0mEb4Td0NM74/s1600/Photo-0029_e1.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; margin-bottom: 1em; margin-left: auto; margin-right: auto;"><img border="0" height="200" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhEnGjnGzEtFhqinmAI1Etc7Zd5NpP4EI7k49SprbMEYho94o20oc2KkCiaPOM3j1utxZoCFZf9I6Zge6l-X-1lLZon77Nk4CgiqbWa4Uk_N1z0To2XAGED4tMeVM4oPIh_0mEb4Td0NM74/s200/Photo-0029_e1.jpg" width="150" /></a></td></tr>
<tr><td class="tr-caption" style="text-align: center;"><div style="font-size: medium; text-align: left;">
<i>उनकी धुंधली दिख रही</i></div>
<div style="font-size: medium; text-align: left;">
<i>तस्वीर के साथ हमारे </i></div>
<div style="font-size: medium; text-align: left;">
<i>राष्ट्र की राजनीति, </i></div>
<div style="font-size: medium; text-align: left;">
<i>संरक्षण और कूटनीति</i></div>
<div style="font-size: medium; text-align: left;">
<i>भी धुंधली नजर आ रही है </i></div>
<div>
<i><br /></i></div>
</td></tr>
</tbody></table>
1971 में पाकिस्तान के साथ हुए युद्ध के असली हीरो रणछोड़ पगी (पगी अर्थात पैरो के निशान को परख कर दुश्मन और उसके छिपने के ठिकाने को ढूंढ़ निकालने की विशेष कला - यहाँ पर यही शब्द का प्रयोग उचित रहेगा क्योकि ये उनका विशेषण बन चूका है) का 101 साल की आयु में निधन हुआ जब उन्हें पता चला की पाकिस्तानी सना हिंदुस्तानी सेना के दो जवानो के सर काटकर ले गई है, ये हादसा वो बर्दास्त नहीं कर शके और उनके प्राण शरीर से अलग हो गए। पुलिस के जवानो द्वार वीर सपूत को गार्ड ऑफ़ ऑनर के साथ श्रद्धांजलि प्रदान की गई।<br />
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कच्छ के छोटे रण से सटे हुए बनासकांठा जिले के सुइगाम के नजदीक छोटे से गाव से देशवासी अनजान होगे मगर इस प्रदेश में शायद ही कोई इनके नाम से अपरिचित होग। 1971 के युद्ध में अपना योगदान प्रदान करने वाले रणछोड़ पगी को जनरल शाम माणेक सा ने उनका सम्मान किया था। दुश्मन के पदचिह्नो से उसे ढूंढ़ निकालने की अद्भुत कला में माहिर होने की वजह से उन्हें लश्कर में नौकरी दी गई थी। इस वीर सपूत को पकड़ने के लिए पाकिस्तान ने बहोत से हथकंडे अपनाए मगर इस नर बांकुरे ने पकिस्तान के हर पैतरे और चाल को नाकाम बना दिया था। आयु बढ़ने के बावजूद 1971 के युद्ध की बाते करते ही वे जोश में आ जाते थे। 101 वर्ष की लम्बी आयु में भी वे निरोगी और सादगीपूर्ण जीवन व्यतीत कर ही रहे थे। रणछोड़ पगी रेडियो पर खबरे सुनने के आदि थे, हाला की उन्हें थोडा ऊँचा सुनाई देता था। समाचार की सत्यता की परख करने के लिए उन्होंने अपने पुत्र से उस खबर का जायजा लिया जिसमे पाकिस्तानी सनाने हमारे दो जवानो की निर्ममता से हत्या की थी ये सुनते ही उनका शारीर गुस्से में कांपने लगा और कुछ ही पल में उनकी आत्मा शारीर से निकल गई। जहा हमारे सत्ताधिसो के माथे पर से जू तक नहीं रेंगती वहा इस बूढ़े सिपाही को ये शर्म नाक हादसा नागवारा था।<br />
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<table cellpadding="0" cellspacing="0" class="tr-caption-container" style="float: left; margin-right: 1em; text-align: left;"><tbody>
<tr><td style="text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi1FjjS1aXVsC0HTTqhbVF55CiyPcpScLGqllmt1HqK-5pkhA58DWooUGW8VoDJcASLQeCUIkBaILsG_v14HVwRIr6eLnWFZNno5RxDs0kFWzfgacbpFOHiaQKOGyRlY2ACGtaUMl5-yePH/s1600/461560_191897007592230_1187330757_o.jpg" imageanchor="1" style="clear: right; margin-bottom: 1em; margin-left: auto; margin-right: auto;"><img border="0" height="320" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi1FjjS1aXVsC0HTTqhbVF55CiyPcpScLGqllmt1HqK-5pkhA58DWooUGW8VoDJcASLQeCUIkBaILsG_v14HVwRIr6eLnWFZNno5RxDs0kFWzfgacbpFOHiaQKOGyRlY2ACGtaUMl5-yePH/s320/461560_191897007592230_1187330757_o.jpg" width="240" /></a></td></tr>
<tr><td class="tr-caption" style="text-align: center;"><i>सुइगाम : प्रणाम मातृभूमि ...</i></td></tr>
</tbody></table>
भारत - पाकिस्तान के बटवारे के समय में पाकिस्तानी लश्कर इस इलाके में अपनी ढोस ज़माने के लिए गाव के लोगो को परेशान करते थे। उस समय निहत्थे रणछोड़ भाई ने चार पाकिस्तानी सैनिको को ख़त्म कर दिया था और वो भी पाकिस्तानी बन्दुक और कारतूसो से! फिर उनकी मुलाकात उस समय के पुलिस अफसर वनराज सिंह जाला से हुई थी। रणछोड़ भाई रण में ही बड़े हुए थे इस लिए रण के राजा थे। मनुष्य हो या जानवर किसी के भी पैरो को निशान पर से वो बता देते की वो इन्सान कहा से आया, कहा गया और वो कितना वजन उठा के गया! उनकी ये मास्टरी को देखते हुए सात रूपए के वेतन से पुलिस में नौकरी मिल गई। सरहदी इलाको में घूसखोरो को पकड़ने के लिए ये पगी बहुत उपयोगी साबित होते है और फिर रणछोड़ भाई तो इस कला में माहिर थे।<br />
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1971 में जंग छिड़ी तब रणछोड़ भाई छुट्टियो पर थे। कर्नल सरदारसिंह राणा की अगुवाई में पकिस्तान की और बढ़ाना था पर ये उतना आसन नहीं था। कर्नल के आदेश को शिर चढ़ाके वे स्थिति का जायजा लेने आगे निकले और पीछे फ़ौज इलाको पर कब्ज़ा जमाते हुए आगे बढती गई। फ़ौज का लक्ष्य पाकिस्तान के द्वारा कब्जे में लिए गए नगरपरकर गाव और फिर रणछोड़ भाई को नगर परक जाने का आदेश हुआ। वे निकल पड़े थे अकेले अँधेरी रात में---<br />
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रणछोड़ भाई युद्ध कलाए सिखे, आगे बढ़ते गए। थके और जख्मी हालत में उट और सामान को खिचते हुए चलते रहे। वक्त पर शस्त्र सरंजाम नगरपाराक पहोच गया और बाकी बचा काम हमारे जवनोने कर दिया। 1971 का युद्ध जितने के बाद तो रणछोड़ भाई लश्कर में सब के चहिते बन गए। युद्ध जितने के बाद रणछोड़ भाई अफसरों के साथ रण में तेरह महीनो तक घुमते रहे। अफसरों को जहा नक्षा प्राप्त करने में दिक्कत होती वहा ये जीता जगाता नक्षा मौजूद ही था! लश्कर की ऐसी सेवा के बदोलत सरकार की और से उन्हों तिन बार मैडल दिए गए है। इनाम से ज्यादा वो इस बात से ज्यादा गर्व महसूस करते थे की खुद शाम मानेकशा ने उन्हें नवाजा था। जिस टीम में रणछोड़ पगी थे वह बिलकुल भी खुवारी नहीं हुई थी, ये आश्चर्य की बात थी।<br />
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युद्ध में उनकी कौशल्यता और शौर्य की बाते सुनकर उस समय अमरीकन अफसर उनके गाव लिम्बाला पहोच गए थे। रणछोड़ भाई की परीक्षा लेने के उद्देश्य से उन्होंने स्थानीय तहसीलदार के पैसे चुरा लिए और कहा की उसे ढूंढ़ निकालो। उन्होंने तहसीलदार के पैरो के निशान को पहचान लिया। वो अमेरिकन अफसर रणछोड़ भाई पर फ़िदा हो गया था।<br />
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उस समय रणछोड़ भाई लश्करी जवानो में सही अर्थ में हीरो थे। यहाँ तक की उनको जिन्दा या मृत पकड़ने के लिए पाकिस्तान ने इनाम घोषित किया था। आज इन सब बातो पर समय की धुल चढ़ गई है। उनके दो पुत्र में से एक पुलिस फ़ोर्स में है और दूसरा बोर्डर पर फर्ज अदा कर रहे है।</div>
Viralhttp://www.blogger.com/profile/08141316200456711008noreply@blogger.com1Suigam, Gujarat, India24.153089 71.35541324.138600500000003 71.335243 24.1675775 71.375582999999992tag:blogger.com,1999:blog-2363190867558855559.post-59869521921464572542013-01-17T08:33:00.000-08:002013-01-17T08:33:51.931-08:00गाय की जिवंत समाधि और बन गया मंदिर : 125 सालो से अखंड ज्योत प्रज्वलित <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
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<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgo_K8TwJ_muSLa7r0jZpDndtdUw9fPBuIBGk4zh-akzsUTLmcEoYdWAeFdMBVDpM6IJoPP7uOs4xBQzw-04p8SklIG6edtcIBOzATKazTMf2YfqOGSFm_uBsqlA_C7p8xz52yafspCDp2Q/s1600/Photo-0035.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="640" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgo_K8TwJ_muSLa7r0jZpDndtdUw9fPBuIBGk4zh-akzsUTLmcEoYdWAeFdMBVDpM6IJoPP7uOs4xBQzw-04p8SklIG6edtcIBOzATKazTMf2YfqOGSFm_uBsqlA_C7p8xz52yafspCDp2Q/s640/Photo-0035.jpg" width="480" /></a></div>
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हिन्दुओमे गाय परम पवित्र है। ये आस्था है की गौ माता स्वरूप है और उसमे सभी देवताओ के अंश विद्यमान है। गाय की पूजा होती है। गाय के दूध को अमृत माना जाता है और गौ जरन भी परम पवित्र है। गौ जरन के उपयोग से बहोत सी बीमारिया दूर होती है और वातावरण में शुद्धता आ जाती है ये तो अब विज्ञान भी मानने लगा है। हमारे पुराणो और धर्म ग्रंथो में भी गाय के गुण गान गाये गए है। गौ रक्षा प्रत्येक हिन्दू की परम पवित्र फर्ज है ऐसे संस्कार प्रत्येक हिन्दू को बचपन से ही मिल जाते है। उसमे छत्रपति शिवाजी महाराज हो या वर्त्तमान में गौ रक्षा की जिम्मेदारी उठाने वाले हिन्दू संगठन। विधर्मियो से गौ को बचने के हर संभव प्रयास होते है। इसी तरह गुजरात के बनासकांठा जिले के शिहोरी में गौमाता भक्ति के स्वरूप में स्थापित है। ये मंदिर कहा जाता है की 125 सालो पुराना है। इसके पीछे एक घटना जुडी हुई है। सत्य मानो या दंतकथा मगर यहाँ के लोग बरसों से गौ माता को पूजते रहे है।<br />
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<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgKt8UlE7NBEFAs-nzSvGMuu-dgv9mEPrtZKaDzDfkMB6nMs6PObLBS18RGtA-A8ECFft0xqrAUwJ2LoINGaARiA-RdDMFxzbhM-JNb1fdKiNYj0_fyGY0SJSGX1HTqC7drI5t_OuAJxJ25/s1600/0029.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="480" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgKt8UlE7NBEFAs-nzSvGMuu-dgv9mEPrtZKaDzDfkMB6nMs6PObLBS18RGtA-A8ECFft0xqrAUwJ2LoINGaARiA-RdDMFxzbhM-JNb1fdKiNYj0_fyGY0SJSGX1HTqC7drI5t_OuAJxJ25/s640/0029.jpg" width="640" /></a></div>
माना जाता है की वर्तमानमे जहा मंदिर खड़ा है वहा खुला मैदान था और आसपास में खेत - खलियान। इससे जुडी कथा में ये कहा जाता है के तकरीबन 100 या 125 साल पहेले गायने इस जगह पर समाधि ली थी। इस तरह जिवंत समाधि लेने की वजह यह थी की उसके मालिकने उसे धुत्कार दिया था। गौ के आँचल से दूध निकलते समय दूध निकाल रहे व्यक्ति की मुह से ये शब्द निकल पड़े थे - 'तुजे मौत भी नहीं आती' बस ये शब्द सुनते ही गाय ने वहा से छलांग लगाईं और गाव से निकलकर खेते खलियानों की तरफ भागने लगी। उस जगह दो दिन तक बिना खाए पिए वह खड़ी रही जहा आज गौ की याद में मंदिर बना हुआ है। गाय की इस असह्य स्थिति को देखकर वहा के तत्कालीन पुलिस अफ़्सरने गाय को कुछ खिलाने की कोशिश की मगर गायने कुछ नहीं खाया। लोगो को इकट्ठा करके मिन्नतें के मगर गाय अपने इरादों से विचलित नहीं हुई। इतने में ही धरती ने मार्ग किया और गौ ने वहा पर जिवंत समाधि ले ली। और फिर पुलिस अफसर की जद्दो जहद से वहा पर गौ माता का मंदिर निर्मित हुआ। कहा जाता है की संतान के लिए तरस रहे अफसर को गौ माता के आशीर्वाद के फल स्वरूप दो पुत्र प्राप्त हुए। तब से यहाँ गौ माता के प्रति द्वैत भक्ति की भावना जागृत हुई है। सालो से मंदिर के गर्भ गृह में अखंड ज्योत प्रज्वल्लित है। लोग ये मानते है की किसी दैवी शक्ति के रूप में गौ माता ने अवतार लिया था और अपनी लीला रची थी। गौ रक्षा और गौ सेवा का भी संकेत समजते है।<br />
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<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj_a7tzazWobtmyZEXJK4pLQ_339BhrrryBxbJJ0oQmfchlA6yaahh3xP7QBhgN8gLS_DVkiNgds-nG6KCq074VQRwOoJm1B9Fi2NgZXHaKB5tNFTKc4P-3_tSnN2mZiZR9ih89pbBH3Fti/s1600/Photo-0037.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="480" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj_a7tzazWobtmyZEXJK4pLQ_339BhrrryBxbJJ0oQmfchlA6yaahh3xP7QBhgN8gLS_DVkiNgds-nG6KCq074VQRwOoJm1B9Fi2NgZXHaKB5tNFTKc4P-3_tSnN2mZiZR9ih89pbBH3Fti/s640/Photo-0037.jpg" width="640" /></a></div>
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गुजरात में ये स्थान इतना प्रचलित नहीं है। स्थानिय निवासियों तक सिमित इस मंदिर और गौ सेवा समिति द्वारा हर साल नौ रात्रि के दिनों में चंदा इकठ्ठा करके मेले का आयोजन किया जाता है। मेला पूर्णिमा तक चलता है। पूर्णिमा के दिन मंदिर में आसपास के साधू संयासियो की उपस्थिति में होम हवन भी होता है। गाय के नाम से यहाँ विविध उत्पादों द्वारा प्रचार का कार्य कार्य और अन्य कोई प्रवृत्ति नहीं होती। बस आस्था से यहा उपासना और आराधना होती है।<br />
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<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg0bnI2aAQ9MsegbEyZLDAz6COyxXQxTSdYCMKkOfOiIh0FQln1pqLQkdC4dtOhNR4UYVmcfKH_hTtRU2dh1IeyE1hZvQJTcbdRUDf9HQCib5yt5M2GrH3_hGKXippjR0gVElC9wHOFCkMq/s1600/28.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="480" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg0bnI2aAQ9MsegbEyZLDAz6COyxXQxTSdYCMKkOfOiIh0FQln1pqLQkdC4dtOhNR4UYVmcfKH_hTtRU2dh1IeyE1hZvQJTcbdRUDf9HQCib5yt5M2GrH3_hGKXippjR0gVElC9wHOFCkMq/s640/28.jpg" width="640" /></a></div>
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<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhzCtWLgC5b9IOKsvWNNo7zlBcWV9bZSYzFvSfMwtkAacDeVgnNDxvMSd6pRDPG37QZuSZr0YX6z0k_lP2q9okXgp3s973Tmom-UGkupsddRtBbnAoU7DGushriRSWv2qrbceP4wEDNjvrA/s1600/Photo-0029.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="480" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhzCtWLgC5b9IOKsvWNNo7zlBcWV9bZSYzFvSfMwtkAacDeVgnNDxvMSd6pRDPG37QZuSZr0YX6z0k_lP2q9okXgp3s973Tmom-UGkupsddRtBbnAoU7DGushriRSWv2qrbceP4wEDNjvrA/s640/Photo-0029.jpg" width="640" /></a></div>
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एक दूसरी भी प्रथा है यहा बैल न बनाने की। इस वजह से यहाँ सांड की संख्या में काफी वृद्धि हुई है। आये दिन<br />
यहाँ सांडो की भगदड़ होती रहती है। मेले में भी ये भगदड़ हो चुकी है। प्रस्तुत कथा और ये सांडो की वृद्धि के बिच में क्या कनेक्सन है ये अभी तक कुछ सिद्ध नहीं हुआ है। मगर यहाँ के लोगो की आस्था को अवश्य मानना पड़ेगा।<br />
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Viralhttp://www.blogger.com/profile/08141316200456711008noreply@blogger.com2Sihori, Gujarat, India24.037265 71.94214399999998524.0227635 71.921973999999992 24.051766500000003 71.962313999999978tag:blogger.com,1999:blog-2363190867558855559.post-42237824127732275762013-01-12T00:57:00.001-08:002013-01-12T00:57:37.318-08:00वायब्रंट गुजरात - एक जलक <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<span style="background-color: #6fa8dc;">आज के दिनोमे जहा हिन्दुस्तानको मुसीबतों और समस्योने चारो और से घेर हुआ है तब गुजरात में नरेन्द्र मोदी के शासन तहत हो रहे वेपार विनिमय और विकास की दिशा में बढ़ने वाले कदमो की आहट से एक आम हिंदुस्तानी के दिल में एक आस बंध रही है की पूरा हिन्दिस्तान एक न एक दिन अवश्य ही गुजरात के नक़्शे कदम पर चलेगा। हिंदुस्तान में कही से भी कोई अच्छी खबर नहीं आ रही है - पडोशी मुल्क की दगाबाजी, सरकारी क्षेत्रो के भ्रस्टाचार और घोटाले, नक्शाली हिंसा, सरकार की महेंगी नीतिया और ऐसे में शांत और विकास की दिशा में आगे कदम को देखते हुए रण में पानी के फव्वारे फुट रहे हो ऐसा लगता है। </span><br />
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<b><u>क्या हो रहा है गुजरात वायब्रंट में? किसने क्या कहा? एक नजर डालते है</u></b><br />
विश्वमे गुजरात नंबर 1 बिजनेस फ्रेंडली स्टेट बन रहा है। ये वाक्य गुजरात के मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्रभाई मोदी का है। वायब्रंट गुजरात समिट के उद्घाटन में विश्व के बिजनेस मेन्स की उपस्थिति में गांधीनगर स्थित महात्मा मंदिर में नरेन्द्र मोदी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा की गुजरात का आज चारो और से विकास हो रहा है। गुजरात डेवलपमेंट हब के तौर पर समग्र विश्व की निगाहे गुजरात पर स्थिर है। समग्र विश्व के उद्योगपति आज गुजरात में उद्योग स्थापित करने के लिए उत्सुक है। वे गुजरात के विकासमे सहभागी होने की इच्छा रखते है। गुजरात के विकास दर के बारे में कहेते हुए उन्होंने कहा गुजरात ने कृषि मेन्यु फेक्चर क्षेत्र में 10.9 का विकास दर प्राप्त किया है। भारत विश्व का सबसे बड़ा युवा देश है यही देश की सबसे बड़ी ताकत और क्षमता है। इक्कीसवी सदी भारत की सदी है। जिसमे युवा आदर्श का केंद्र बनेंगे। गुजरात के बहोत से प्रोजेक्ट्स की विश्व के देशो ने प्रशंसा की है। गुजरात का विकास सिर्फ शहरों तक ही सिमित नहीं है। ग्रामीण विस्तरो में भी 24 घंटे बिजली और ब्रोडबेंड सेवाए उपलब्ध है। हजारो उद्योगपति और विभिन्न क्षेत्रो के महानुभावो के बिच गर्व के साथ मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्रभाई मोदी ने गर्व के साथ कहा की गुजरात में सबसे कम बेरोजगारी है। ये कोई गुजरात सरकार का प्रमाण नहीं ये केंद्र सरकारने प्रमाणित किया है की गुजरात सबसे ज्यादा रोजगारी देने वाला राज्य है।<br />
इस समिट में ज्यादा तादात में गुजरात में निवेश करने आगे आनेवाली कम्पनियो के साथ साथ अन्य राज्य, विश्व के अन्य देशो में गुजरात और भारत में निवेशो को आकर्षित करने के प्रयास होंगे। विश्व के अर्थतंत्र में गुजरात आनेवाले भविष्य में कैसी भूमिका अदा करेगा वो ध्यान में रखकर सेमीनार आयोजित होनेवाले है। इस समिट का फॉक्स ज्ञान और कौशल्य की सजेदारी, नई पहल और लघु, माध्यम और छोटे निवेशो को तकनिकी और निवेश्मे साजेदारी हो उसके लिए है। इसके लिए अबतक दोसो से भी ज्यादा समजोता करार विश्व के शिक्षा संस्थानों के साथ हो चुके है और आगे फॉक्स सेक्टर्स के लिए होनेवाले है।<br />
ओटोमोबाइल उद्योगों में से मारुती सुजुकी के चेरमन आर सी भार्गव और फ्रोड के मेंजिंग डिरेक्टर जोगिन्दरसिंह उपस्थित है। इस व्यापर उद्योग कुम्भ में जानेमाने उद्योग साहसी नारायणमूर्ति और एल एन टी के ऐ एम् नायक और के वि कामथ भी उपस्थित रहे है। जब की विदेशी अतिथियो में से जापान के मंत्री युकिओ एडानो और ब्रिटिश हाई कमिश्नर जेम्स बेवन उपस्थित रहेंगे। पचास हजार भारतीय डेलिगेट्स और दो हजार विदेशी डेलिगेट्स वाय ब्रैंट समिट में हिस्सा लेंगे।<br />
चाइना की कंपनी भी गुजरात में 500 करोड़ का निवेश करेगी। चाइना की ए सी कंपनी के निवेश की तैयारी के बाद निवेशो का अंक दिन प्रतिदिन आगे बढ़ रहा है।<br />
एस्सार गृप के शशि रुयिया गुजरात में 15000 करोड़ का निवेश करेंगे।<br />
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<b><u>श्री नारेद्रभाई मोदी की तारीफे </u></b><br />
इन दिनों में मुख्य मंत्री पर तारीफों की बारिस हो रही है। रतन ताता ने गुजरात की नरेन्द्र मोदी सरकार की विकास की नीतिओ की सराहना की और कहा की कोई मुर्ख ही होगा जो गुजरात में निवेश करना नहीं चाहेगा। अनिल धीरुभाई अम्बानी के चेरमेन अनिल अम्बानी ने श्री मोदी की सरदार पटेल और गांधीजी के साथ तुलना करते हुए कहा की नरेन्द्र मोदी राजाओ के राजा है। महान, श्रेष्ठ और तेजस्वी गुजरात के विकास के लिए नरेन्द्र मोदी अपना दिमाग और ह्रदय हमेसा खुला रखते है। विकास के लिए वे हरेक के विचारों का सन्मान करते है। तो मुकेश अम्बानी ने भी श्री मोदी और उनकी सरकार की विकास की नीतिओ की प्रसंसा करते हुए कहा की गुजरात और नरेन्द्र मोदी ने देश को एक नई दिशा प्रदान की है। उन्होंने कहा की रिलायंस गुजरात की कंपनी है और वो एक वैश्विक कंपनी है। गुजरात हमेसा देश का महत्वपूर्ण प्रांत रहा है। ये वो भूमि है जिसने समस्याओ का मजबूती से सामना करके मार्ग बनाते हुए सफलता की सिद्धिया हासिल की है। शशि रुयियाने कहा की अच्छी राजनीती की वजह से बहोत ही अच्छा संचालन हो शकत है। अदानी गृप के गौतम अदानी ने कहा की 5000 करोड़ के निवेश के लिए गृप की तयारी है। ये मुड़ी निवेश बिजनेस में ज्यादा करके बन्दर और नए साहसो के लिए होगा। मुख्यमंत्री की कार्य निति और कठोर परिश्रम के बारेमे उनकी प्रसंसा करते हुए गौतम अदानी ने कहा की नरेन्द्र मोदी चुनाव के दौरान सिर्फ चुनाव का कार्य ही नहीं कर रहे थे वे साथ साथ वायब्रंट गुजरात के आयोजन की तैयारिया भी कर रहे थे। मारुती के चेयरमेन आर सी भार्गव ने कहा की गुजरात उनके दुसरे घर जैसा है। महिंद्रा एंड महिंद्रा गृप के आनंद महिंद्रा ने कहा की गुजरात सच में लाजवाब है। गुजरातियों के व्यंजनों में भी जादू है।<br />
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<span style="color: #38761d;">जहा एक और देश और दुनिया के लोग गुजरात और श्री मोदी की तारीफे करते थकते नहीं है वहा देश को हर क्षेत्र से डुबो देने वाली, महेगाई को दिन दो गुनी रात चौगुनी बढाकर हर हिंदुस्तानी के बहेतारिन जीवन के सपने को कुचलने वाली, हर बात में गुजरात को अन्याय करनेवाली, तुष्टिकरण की राजनीती में ग्रस्त और भ्रस्टाचार में डूबी हुई, विश्व के नक़्शे पर भारत और गुजरात की छवि को ख़राब करने के हर संभव प्रायस करनेवाली कोंग्रेस गुजरतिओने चुने हुए मुख्यमंत्री पर दोषारोपण करते हुए उनके गुजरात प्रदेश प्रवक्ता जय्राजसिंह परमराने कहा है की गुजरात की शिक्षा में वायब्रंसी लाने की बाते करने वाले मुख्यमंत्री गुजरात के एक शहर से दुसरे शहर में जाने के लिए हेलिकोप्टर का इस्तमाल कर रहे है मगर उन्होंने कभी गुजरात के आतंरिक ग्रामीण विस्तरो की कभी मुलाकात ली है? वही पुरानी घिसी पिटी और बेतुकी दलीले जो एक ख़ास वर्ग के लिए करते है। सूरत बदल गयी पर सीरत नहीं। </span><br />
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गुजरात की जनता ने तो तय कर दिया है अब देश की जनता को तय करना है उन्हें किस के साथ रहना है?<br />
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Viralhttp://www.blogger.com/profile/08141316200456711008noreply@blogger.com7tag:blogger.com,1999:blog-2363190867558855559.post-23720135189237112082013-01-11T03:22:00.000-08:002013-01-18T04:03:20.540-08:00खबर गुजरात की - देश के सबसे बड़े ग्लोबल ट्रेड शो का प्रारंभ , वायब्रंट गुजरात में विश्व के अंदाजित १०५ देश हिस्सा लेंगे <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
देश के सबसे बड़े ग्लोबल ट्रेड शो की सभी तैयारिया परिपूर्ण हो चुकी है। आज गुजराती की राजधानी गांधीनगर में वायब्रंट गुजरात ग्लोबल ट्रेड शो का मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी उद्घाटन करेंगे। यह ट्रेड शो 18 जनवरी से 13 जनवरी तक चलेगा। यानी के छ दिनों तक ये कार्यक्रम चलेगा। इस बार ये कार्यक्रम की बहोत सी विशेषताए है। गांधीनगर के महात्मा मंदिर के नजदीक 100000 चो मी के विस्तार में वायब्रंट गुजरात ग्लोबल ट्रेड शो का आयोजन किया गया है। ये शो की विशेषता ये है की इस शो में चौदा से ज्यादा देशो की एक हजार से ज्यादा कंपनिया हिस्सा लेने वाली है। 2011 की तुलना में इस साल दुगने लोग पहुंचेंगे ऐसा अंदाजा लगाया जा रही। तकरीबन पंद्रह लाख लोग पहोचेंगे ऐसा अंदाजा लगाया जा रहा है। इस ग्लोबल ट्रेड शो में 13 डोम्स, 14 एक्षक्लुसिव पवेलियन, 1000 से ज्यादा स्टोल और 25000 से ज्यादा प्रोडक्ट पेश किये जायेंगे। इंजीनियरिंग और ऑटोमोबाईल, आयल और गैस, एनर्जी और पावर, केमिकल और पेट्रोकेमिकल, फायनान्सियल सर्विसिस, आईटी और आईटी एस, प्लास्टिक, टेक्सटाइल और टूरिजम सेक्टर के एक्सा बीटर्स अपनी प्रोडक्ट्स और सर्विस इनोवेसंस प्रस्तुत करेंगे। इस ग्लोबल ट्रेड शो में एनवायरमेंटल टेक्नोलोजी, ग्रीन और रिन्युएबल एनर्जी और एसेम इ जैसे उभरते सेक्टर भी अपनी योजना रखेंगे। देश में पहेली बार हजारो स्वारोवस्की रत्न, सुवर्ण और चांदी जडित डिजाइन की हुई कारे भी प्रदर्शित की जाएगी। जो बहोत से इनोवेसंस पेस किये गए है उसमे सोल्वे गृप का अद्भुत एयर क्राफ्ट मॉडल भी सामिल है। जो ट्रेड शो का आकर्षण रहेगा। ट्रेड शो को लेकर अमदावाद शहर की जनता भी बड़ी तादात में आने का अनुमान है। लोगो को किसी भी तरह की असुविधा न हो उसके लिए विशेष इंतजाम किया गया है।<br />
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<table align="center" cellpadding="0" cellspacing="0" class="tr-caption-container" style="margin-left: auto; margin-right: auto; text-align: center;"><tbody>
<tr><td style="text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjYH06p1tqNe8wmaKQjfOTWMOpb6EVonHBkKNvw2TkkZV4-aRaCFnUt4rBsjYexUBc4F5fJ58mpT0oTe9HTgkgIcTbUQVUUYRiLTgCBSjPDzhl_spzLct94Tkx36zum0ACF1WuceSgLAtoo/s1600/swarnim-gujarat-wallpaper.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: auto; margin-right: auto;"><img border="0" height="480" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjYH06p1tqNe8wmaKQjfOTWMOpb6EVonHBkKNvw2TkkZV4-aRaCFnUt4rBsjYexUBc4F5fJ58mpT0oTe9HTgkgIcTbUQVUUYRiLTgCBSjPDzhl_spzLct94Tkx36zum0ACF1WuceSgLAtoo/s640/swarnim-gujarat-wallpaper.jpg" width="640" /></a></td></tr>
<tr><td class="tr-caption" style="text-align: center;"><i>स्वर्णिम गुराजत </i><br />
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</tbody></table>
साथ साथ वायब्रैंट गुजरात 2013 की तयारी भी पर है। वायब्रैंट गुजरात समिट में 105 देशो के 1800 से ज्यादा विदेशी डेलिगेट्स उपस्थित रहेंगे। जापान, केनेडा, अमरीका, ब्रिटन और उ ए इ के सीनयर बिजनस लीडर और डिप्लोमेट्स वायब्रैंट गुजरात में अलग दिखेंगे। इस बार बहोत से देशो के डिप्लोमेट्स बिजनस मेन, शिक्षाविद, विचारक सामिल हो कर इनोवेसन, विकास के मापदंड, युवा और कौशल्य का विकास, नोलेज शेरिंग और नेट वर्किंग जैसे विषयो पर परामर्श करके एक नया सीमाचिह्न स्थापित करेंगे। ज्यादा संख्या में प्रतिनिधित्व प्राप्त कुछ देशो में स्वीडन, फिनलेंड, इटली, सिंगापोर, चाइना, ताईवान, बेल्जिअम, डेनमार्क, नेधर लेन्ड, इजराएल, मोरक्को और यूनान है। वायब्रैंट गुजरात समित में उपस्थित होने वाले भारत और विदेश के डेलिगेट्स के विषय में हुए गुजरात सचिव ने दी जानकारी अनुसार वायब्रैंट गुजरात समिट को भारत और विदेशी डेलीगेटो का जो भारी उत्साह देखने को मिल रहा है और जो प्रतिभाव मिल रहे है उसे देखकर उनको समिट के केन्द्रीय विषयो के बारे में प्लेट फोम संपादन करके उनके ज्ञान का आपस में आदान प्रदान करके मात्र उनका ही नहीं मगर राज्य और देश और दुनिया के विकास के लिए व्युह्यात्मक गठबंधन स्थापित होने का आत्म विश्वाश है। इस समिट का फॉक्स एरिया ज्यादा करके लघु और माध्यम कद के उद्योग रहेंगे और रोजगार के अवसर पर विशेष बल दिया जायेगा सरकार जिस पर ज्यादा बल दे रही है वो ज्ञान आधारित भागीदारी पर विशेष ध्यान देते हुए अपने अपने सेक्टर में महारत प्राप्त देशो के साथ पार्टनरशिप के लिए विविध इवेंट्स का आयोजन किया गया है। उदाहरन के तौर पर देखे तो इंटर नेशनल कोंफरंस ओन एकेडेमिक इंस्टीट्युशन के द्वारा इंटर नेशनल इंस्टीट्युट ऑफ़ एजुकेशन, ब्रिटिश कौंसिल और वर्ल्ड बेंक के साथ सहयोग स्थापित किया गया है। पर्यावरण की सुरक्षा के लिए तकनिकी सोल्यूसन के लिए गवर्मेंट ऑफ़ विक्टोरिया, ग्रीन इनोवेसंस के लिए भारत सरकार के आयोजन पञ्च, एसियन डेवलपमेंट बेंक, इंटर नेशनल फायनांस कोर्पोरेसन के साथ बंदरो और बंदरो आधारित विकास प्रवृत्ति के लिए नेधर लेंड के साथ और भारत में नगर विकास के लिए जापान का सहयोग लिया जाएगा। ग्लोबल फय्नासियल हब के लिए यु के आई बी सी के साथ और युवा संमेलन के लिये ऑस्ट्रेलिया-इंडिया बिजनस काउन्सिल के साथ सहयोग किया जाएगा। इस समिट में कुल 1100 स्टॉल्स में विभिन्न कंपनियो के पाच हजार से ज्यादा उत्पादों डिस्प्ले और सोलर गावो का चितार भी होगा। वर्त्तमान शिक्षा से भविष्य की शिक्षा कैसी रहेगी उसका भी चित्र दिखाकर छात्रो को उनके तेजस्वी भविष्य का साक्षात्कार कराने का प्रयाश भी किया जाएगा।<br />
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Viralhttp://www.blogger.com/profile/08141316200456711008noreply@blogger.com1Patan, Gujarat, India23.850809 72.11483799999996323.792717000000003 72.034156999999965 23.908901 72.195518999999962tag:blogger.com,1999:blog-2363190867558855559.post-88569880915627756772013-01-05T22:55:00.001-08:002013-01-05T22:55:44.645-08:00गुजरात में एक और आविष्कार <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgwQ82dOIKsAH_Ls9MtBExQi9x7RCpD1YuHlSw3aMO3bVIGVWjlf2YrjpRmASxitaIEewwKn2mfOrk2zGc_jwv87ehjBGwzqoTVCjLyhgJdgIiuitYG9sdC6b8JJlGIv1B5cz9dTk7vR84p/s1600/Narendra-Modi-gujarat-no-1-growth.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="400" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgwQ82dOIKsAH_Ls9MtBExQi9x7RCpD1YuHlSw3aMO3bVIGVWjlf2YrjpRmASxitaIEewwKn2mfOrk2zGc_jwv87ehjBGwzqoTVCjLyhgJdgIiuitYG9sdC6b8JJlGIv1B5cz9dTk7vR84p/s400/Narendra-Modi-gujarat-no-1-growth.jpg" width="391" /></a></div>
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वारदात दिल्ली में हुई और एक्सन गुजरात सरकारने ले लिया. दिल्ली में <span id="7_TRN_7q">हुए गेंग रेप के हादसे के बाद हमारे सत्ताधिसो ने कुछ ठोस
कदम उठाने का सोचा हो या नहीं मगर गुजरात सरकार आधुनिक तकनिकी जरिये
सुरक्षा बहाल करनेमे जुट गयी है. </span> दिल्ली गेंग रेप केस बाद महिलाओ
के साथ हो रहे छेड़खानी को रोकने के लिए रात को पुलिस पेट्रोलिंग बढ़ाने के
साथ साथ राज्य के गृह मंत्रालयने तकनिकी सहाय से नई सिस्टम लागू करने के
बारे में ठोस विचार किया है. पुलिस कंट्रोल के १०० नंबर उपरांत अब सिर्फ
सिंगल डिजिट नंबर डायल करके कोई भी पीड़ित व्यक्ति अपने साथ हुई घटना के
विषय में बता शकता है. मदद की गुहार लगाये इतने कम समय में ही पुलिस उस जगह
पहुच शके ऐसी व्यवस्था लागू हो शके ऐसा सोफ्टवेयर तैयार हो रहा है.
गुजरातमे महिलाओ के साथ छेड़खानी और अभद्र व्यवहार करनेवाले असामाजिक तत्वों
को नशिहत देकर एक्सन लेने के लिए पुलिस की मदद करने में ये सॉफ्ट वेयर
बहोत ही उपयोगी साबित होगा. राज्य पुलिसे की और से एक गाइड लाइन तैयार हो रही है. इसके साथ ही एक ही
डायल से आम नागरिक को तुरंत ही पुलिस की मदद मिल शके, सहायता मिले और
क्राइम से जुड़े सबूत मिल शके ऐसा नेटवर्क तैयार हो रहा है. नए सॉफ्टवेयर
में नागरिक के द्वारा किये गए एक ही कोल के डायल से ये पता लगाया जा शकेगा
की वह किस जगह से बात कर रहा है. उसका लोकेसन तुरंत ही जानने में आये ऐसा
टु कोलर सिस्टम डेवलप हो रहा है. कोल रिसीव होते ही लोकेसन क्रिएट करने
वाला सॉफ्टवेयर जिपिआरेस सिस्टम लौंच्ड पुलिस वाहन के साथ लिंक अप करके
तुरंत ही भेज दिया जायेगा. साथ ही स्थानीय पुलिस कंट्रोल रम से भी मदद मिल
जाएगी. गुजरात में पहेले से ही पुलिस के साथ साथ पब्लिक ट्रांसपोरसन वाहनों में
जिपिआरेस सिस्टम लागू है. ऐसे वाहनों की संख्या बधाई जायेगी. पीड़ित और
दुर्घटना ग्रस्त व्यक्ति को जल्द से जल्द सार्वार मिल शके इसके लिए १०८
इमर्जन्सि सहयता सेवा जो देश में सबसे ज्यादा सफल मॉडल है. एफेसेल
लेबोरेटरी को भी वारदात की जगह पर भेजकर सबूत इक्कठे किये जाते है. ऐसी सभी
सिस्टम्स को इस नए सोफ्टवेयर के साथ लिंक अप करके कार्य को और भी गतिशील
बनाया जाएगा.<br />
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<span id="7_TRN_b0"></span><br />
और इसके साथ ही स्कूली छात्रो और छात्राओ की सुरक्षा के लिए भी स्कुलो में
सीसी टीवी केमरा लगाया जायेगा. जो नई स्कुल बनवाने की मांग करते है उनके
लिए ख़ास ये प्रावधान रहेगा. वैसे तो अमदावाद की बहोत सी स्कुलो में सीसी
टीवी केमरा लगाये गए है मगर ऐसी बहोत सी स्कुल है जहा ये व्यवस्था होने के
बावजूद बंद हालात में है ऐसी स्कुल को व्यवस्था शुरू करने के गुजरात शिक्षा
आयोग द्वारा आदेश जारी कर दिए गए है.<br />
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और इसके साथ साथ गुजरात विधानसभा के चुनावों दौरान <span id="7_TRN_lt">आचारसंहिता
की वजह से बहोत से काम अटके हुए थे वो फिर से गतिशील हो जायेंगे. अमदावाद
में अति आधुनिक बी आर टी एस बस सेवा के रूट बढ़ाने का काम - वैसे पिछले कुछ
सालो से ये सुविधा अमदावाद में कार्यरत है मगर जो विस्तार इस सुविधा से
वंचित है वह भी ये लागू करने का काम जोरो से चल रहा था. चुनाव के बाद भाजपा
फिर सत्ता में आने की वजह से ये पेंडिंग काम शुरू हो गए है. उत्तरी गुजरात
जहा भाजपा को कम सीट मिली <span id="7_TRN_pa"></span><span id="7_TRN_p7"><span id="7_TRN_p8"><span id="7_TRN_p9"></span></span> </span> है वहा भी लोग
पेंडिंग काम फिर से शुरू हो और बनासकांठा जैसे पिछड़े इलाको में विकास का कार्य फिरसे अपनी रफ़्तार पकड़ ले। वैसे गुजरात में अन्य राज्यों की तुलनामे क्राइम रेट बहोत कम है फिर भी सरकार की ऐसी सजगता और सक्रियता काबिले दाद है। विकास के साथ साथ मोदिने जो सुरक्षा का वादा किया था वो बखूबी निभा रहे है। मुल्ला मुलायम और मायावती की सरकारे कुछ सबक सिख सकेगी। जिस राज्यों में भाजपा की सरकारे है वहा तो हम कमसे कम अपेक्षा रख ही शकते है।</span><br />
<span id="7_TRN_lt"><br /></span>
<span id="7_TRN_lt">गुजरात एक सरहदी राज्य है। यहाँ आतंकवादी गतिविधियों को कड़ाई से रोकने के लिए कड़े क़ानून की आवश्यकता है। गुजरात सरकारने 'गुज्कोक' नमक क़ानून विधानसभा में पारित कर दिया मगर केंद्र की मुस्लिम तुष्टिकरण की नीतिओ की वजह से लागू नहीं हो पा रही। मुख्यमंत्री ने इसके लिए बहोत बार प्रधानमंत्री से मुलाक़ात की है मगर मुख्यमंत्री श्री मोदी के ही शब्दों में कहे तो 'फ़ाइल दबाकर बैठे है' अब तो मोदी ही दबाकर बैठने वालो को उखाड़कर फेक दे ऐसी हर राष्ट्रवादी की गुहार है।</span><br />
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Viralhttp://www.blogger.com/profile/08141316200456711008noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-2363190867558855559.post-51734351835994638902012-03-14T02:02:00.000-07:002012-03-14T02:02:26.158-07:00'भुत' नामक पान की दूकान - फोटो स्टोरी<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEitNISUd5aOe-cCiAS09Dosyt7qaDX43bhonQ2oaYN_E37s63xP343cUjxtf3LrDKFQyj138p0MW2q3AH7ctVDEiViedpQA0ipsXI_H56Ge-2WJX_kNMXg6Vwgh-6y9znK5jo2G71YKCTtV/s1600/Vicky1981.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="640" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEitNISUd5aOe-cCiAS09Dosyt7qaDX43bhonQ2oaYN_E37s63xP343cUjxtf3LrDKFQyj138p0MW2q3AH7ctVDEiViedpQA0ipsXI_H56Ge-2WJX_kNMXg6Vwgh-6y9znK5jo2G71YKCTtV/s640/Vicky1981.jpg" width="480" /></a></div><div><br />
</div>आज से ३५ साल पहेले एक इंसान ने अपना धंधा शुरू किया था - पान की दूकान का, गुजरात के पाटन शहर में. कृष्ण चतुर्थदसी के दिन रात को बारह बजे. जिसे काल रात्री और गुजराती में काली चौदस कहेते है. शारीर पर काले कपडे धारण करके. दूकान का नाम रखा - 'भुत ताम्बुल गृह' और सिम्बोल - इंसानी खोपड़ी और हड्डीया. दुनिया को ये दिखाने के लिए की परमात्मा की इस सृष्टि में सब कुछ परम पवित्र है, हर क्षण शुभ है यदि आप का कार्य शुभ कामना युक्त है. अपने विचारों में अड्गता हो तो सफलता मिलती ही है, कोई कुछ नहीं बिगाड़ शकता. ये प्रसिद्धि पाने के लिए बिलकुल भी नहीं है क्योकि ये एक ही कमाई का जरिया है, यही स्त्रोत है आमदनी का. काल मुहूर्त में शुरू किया हुआ व्यवसाय ३५ सालो से जमा हुआ है, बिना किसी दिक्कत के. दिक्कते तो हरेक के जीवन में आती है इन्हें भी आई होगी पर 'भुत' नाम अभी भी लगा हुआ है. और कुछ 'ख़ास' लोग यहाँ खड़े भी नहीं रहेते क्योकि कोई भी नशीली चीज यहाँ नहीं मिलती. बीडी, सिगरेट, तम्बाकू और तम्बाकू से बनी हुई कोई भी चीज - गुटखा, मावा ऐसा कुछ भी यहाँ बेचा नहीं जाता. तो मिलाता क्या है और गुजारा कैसे होता है? थोड़ी ही दुरी पर एक फिल्म थियेटर था अब तो वो भी बंद हो गया है! यहाँ मिलता है सादा मीठा पान, मसाला, ठंडाई, सोडा, चोकलेट, बिस्कुट, १८ वर्ष की कम आयु के लिए सब कुछ और कुछ नयापन. बचपन में पहेली बार ठंडा पान यही से खाया था और रोमांचित हुआ था, अब तो ठंडा पान आम बात हो गयी है. गुजरा तो बहेतारिन ढंग से होता ही है पर अपने बेटे को दन्त चिकित्सक (डेंटिस्ट) भी बनाया. <div><br />
</div><div>करारा तमाचा है उन लोगो के मुह पर जो मजबूरी की आड़ में लोगो की सेहत से खिलवाड़ करते है, मिलावट करके अपनी प्रोडक्ट और दुकानों का नाम भगवान के नामो से रखते है. उन लोगो को भी जो डरा डरा कर भोले लोगो की जेबे खाली करते है. परम पवित्र व्यवसायों में भी गन्दगी का उफान जोरो पर है. </div><div><br />
</div><div>दूकान पर ये लिखा है : पान खाने की रित - शर्दी, जुकाम और मुह को रोगों को मिटाने के लिए एक घंटे तक पान को चबाये, थूंके नहीं और रस को अन्दर उतारे. ऊपर पानी न पिए. कब्ज के लिए 'ख़ास' पान खा कर ऊपर पानी पिए. पाच साल के बच्चो को पण को उबालकर उसका रस पिलाए. ताजा कलम में ये लिखा है - पाटन में देखने लायक जगहों के साथ लोग इस दूकान की मुलाक़ात भी लेते है. </div></div>Viralhttp://www.blogger.com/profile/08141316200456711008noreply@blogger.com7tag:blogger.com,1999:blog-2363190867558855559.post-3510771189025245492012-03-04T05:05:00.005-08:002012-03-04T05:41:45.318-08:00कुछ मेरे प्रिय गुजराती लेखक और पुस्तकों के बारेमे...<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><table cellpadding="0" cellspacing="0" class="tr-caption-container" style="float: right; margin-left: 1em; text-align: right;"><tbody>
<tr><td style="text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh9mBRHK2IMtMKdZVeOtG6pu_pQbgngBuMIbmNHOB6miJf2pHG0n8V3docLU4fp13PXtPcg4BvHUUzXAjVBzP9OEcCMVjZkhDnwPvk0igYT5u6gChDNELRmwELUXCDYhvAZy2djy4XGWmdM/s1600/Chnadrakant_BAkshi.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; margin-bottom: 1em; margin-left: auto; margin-right: auto;"><img border="0" height="320" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh9mBRHK2IMtMKdZVeOtG6pu_pQbgngBuMIbmNHOB6miJf2pHG0n8V3docLU4fp13PXtPcg4BvHUUzXAjVBzP9OEcCMVjZkhDnwPvk0igYT5u6gChDNELRmwELUXCDYhvAZy2djy4XGWmdM/s320/Chnadrakant_BAkshi.jpg" width="240" /></a></td></tr>
<tr><td class="tr-caption" style="text-align: center;"><br />
</td><td class="tr-caption" style="text-align: center;"><br />
</td><td class="tr-caption" style="text-align: center;"><br />
</td><td class="tr-caption" style="text-align: center;"><br />
</td><td class="tr-caption" style="text-align: center;"><br />
</td><td class="tr-caption" style="text-align: center;"><br />
</td></tr>
</tbody></table><u>पसंदीदा लेखको और पुस्तकों के बारेमे लिखना कभी सम्पूर्ण नहीं हो शकता ये अपूर्ण ही रहेगा ताकि आगे अपनी भूलो को सुधारकर और भी बेहतरीन ढंग से अधिक लिखा जाएगा...</u><br />
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<b> श्री चंद्रकांत बक्षी -</b><br />
<i><span id="7_TRN_1p"></span></i>चाहते हुए भी कभी नहीं मिल शका - देखा है , सुना है, पढ़ा है और उनके मृत शरीर को नजदीक से देखा है आधुनिक तरीके से राख होते हुए. <b> </b>गुजरात राज्य के पालनपुर में ८ अक्तूबर १९३२ के दिन जन्मे लेखक का बचपन और शुरूआती शिक्षा कोलकाता में हुई, लिखने की शुरुआत भी यही से की और कर्मभूमि बनी मुंबई नगरी और अंतिम सांस ली दिनांक २५ मार्च २००६ गुजरात के अमदावाद में. गुजराती साहित्यकार, इतिहासकार, प्रोफ़ेसर और प्रिन्सिपाल और मुंबई के सेरिफ भी रह चुके है. गुजरात और गुजराती भाषा का प्रेम उनके लेखन में जलकता है. एसा कोई विषय नहीं जिसमे बक्षी बाबु की कलम न चली हो. उन्होंने लिखा भी है ' यही कटे हुए अंगूठे से गुजराती साहित्य को जहोजलाल किया है'. बचपन में इनके साथ दुर्घटना घटित हुई थी और दाइने अंगूठे में गंभीर चोट आई थी. उपन्यास, कहानिया, साहित्य, संस्कृति, समाजशास्त्र, राजनीति, करंट अफेर्स, खेल, खाना-पीना...आत्मकथा... कुल मिलाकार इनकी किताबो की संख्या १७८ से भी ज्यादा है. इनकी कलम में श्याही नहीं बारूद भरा था जिससे आलोचकों, साहित्य के ठेकेदारों, चाटुकारों के चिथड़े उड़ जाते थे. न वाह वाही की अपेक्षा थी और न आलोचना की फिकर. बेफाम, <span id="7_TRN_0">बेखौफ </span> जिंदगी जिए और उसका स्वीकार भी किया. मांसाहार और मद्यपान को कभी छुपाया नहीं और अपने अकाट्य तर्कों से उसका समर्थन भी किया.<br />
<br />
बक्षीजी के बारेमे क्या लिखू और क्या न लिखू? कौनसे पुस्तक और विचारो का उल्लेख यहाँ करू और किसका न करू? उपन्यास - 'आकार', 'पेरालिसिस', 'हथेली पर बादाबाकी', 'बाकी रात', 'जातक कथा', 'लिली नशोमा पानखर' (हिन्दीमे अनुवादित - पतजर हरे पन्ने में - वैसे तो बहोत सी रचनाए हिंदी और अन्य भाषओमे अनुवादित हुई है) 'वंश', 'शुर खाब', 'ज़िन्दानी', 'रीफ मरीना' सभी उपन्यासों में नायिकाओ का वर्ण काला है और महेनत कस है और नायक दुनिया की मार खाया हुआ और चहेरे पे वीरता का चिह्न लिए हुए संघर्षरत, खुद को तलासता-तरसता और अस्तित्व के लिए जुजता. लेखक की खुद की उम्र बढ़ने के साथ ही अपने नायक की उम्र भी बढ़ती है... 'अयंवृत, 'अनावृत' - प्रयोगशील. 'मीरा', 'मशाल', 'एक सांजनी मुलाकात' - कहानी संग्रह, 'गुजरे थे हम जहासे ( पाकिस्तान यात्रा वर्णन), 'रशिया रशिया'. 'बक्षीनामा' - आत्मकथा ( उनके शब्दों में ये गुजरातनामा भी है ) '<span id="7_TRN_7t">तवारीख', 'विश्वनी प्राचीन संस्कृतियो' और एक विवादस्पद कहानी - 'कुत्ती' जिसपर तत्कालीन गुजरात सरकारने क्रिमिनल केस ठोक दिया था. कृति पर अश्लीलता का आरोप था पर ये तेजोद्वेश था साहित्य के ठेकेदारों का. बक्षी बाबू ने कहा भी था के इस केस की वजह से मै खुवार हो गया था मुंबई से सूरत के धक्के खा कर. लम्बे अरसे तक चले इस केस को बाद में गुजरात सरकार ने वापस ले लिया था - बहोत से लोगो को जटका लगा था लेखक की विद्वता और तर्कों से... एक वो सरकार थी और एक ये भी सरकार है जिसने एक लेखक की मृत्यु पे शोक व्यक्त करके श्रद्धांजलि अर्पण की थी, श्री चन्द्रकान्त बक्षी के अवसान के समाचार मिलते ही मुख्य मंत्री नरेन्द्र मोदी ने तुरंत फोन करके उनके रिश्तेदारों से कहा की जब तक मै अंतिम दर्शन करने न पहोछु स्मशान यात्रा न निकलना और वाडे के मुताबिक मुख्य मंत्री ठीक समय पर पहोच भी गए थे...</span><br />
<span id="7_TRN_7t">(श्री चंद्रकांत बक्षी के बारे में विस्तृत लेखन इसी महीने में)</span><br />
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<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjExJ9-s1ZmTrRbQoezklSbfHLXy6NYm6WLpXgveRH04BbSgEGdC2jzh2rccJBKpVjNFcsRXczMuo12Capx0ymZzbzb8HCqDP6a6YxvWbcD-IIrXqSmw419D5sYusVN4WMyEhRYUwdH6SYa/s1600/mont1v.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="320" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjExJ9-s1ZmTrRbQoezklSbfHLXy6NYm6WLpXgveRH04BbSgEGdC2jzh2rccJBKpVjNFcsRXczMuo12Capx0ymZzbzb8HCqDP6a6YxvWbcD-IIrXqSmw419D5sYusVN4WMyEhRYUwdH6SYa/s320/mont1v.jpg" width="256" /></a></div><span id="7_TRN_7t"><b> श्री कनैयालाल मुनशी - </b>जन्म गुजरात के भरूच में दिन ३० दिसंबर १८८७ को हुआ था. धुरंधर व्यक्तित्व और बहुमुखी प्रतिभा. गुजरात के इतिहास का संशोधन और फिक्सन का मिश्रण करके अद्भुत कृतिओकी रचना की है. 'पाटन नी प्रभुता', 'गुजरात नो नाथ', 'राजाधिराज', 'जय सोमनाथ'. पौराणिक, सामाजिक, ऐतिहासिक उपन्यास हिंदी भाषामे भी अनुवादित हुए है. मुनशी साहब की आत्मकथा तीन भागो में विभक्त है - 'अडधे रस्ते', 'सीधा चढ़ान' और 'स्वप्नसिद्धि नी शोधमा'. एक और एतिहासिक उपन्यास जो मुझे बहोत पसंद है 'पृथ्वी वल्लभ' जिसकी महात्मा गांधीने जमकर आलोचना की थी. जिसमे एक वाक्य को पकड़कर महत्माने अपनी अरसिकता और साहित्य के प्रति अरुचि प्रगट की थी. मुनासी जी ने इस उपन्यास में एक अ-रूप स्त्री का ऐसा अद्भुत वर्णन करके पात्र को निखारा है की पढ़ने वाला सुन्दरता को भूल जाए! </span><br />
<span id="7_TRN_7t"><br />
</span><br />
<span id="7_TRN_7t">इनके विपुल साहित्य को देखकर हैरानी होती है की इतने व्यस्त रहेते हुए इतना सब कुछ कैसे लिख शके? स्वतंत्रता सेनानी, राजकीय व्यक्तित्व, भारतीय विद्या भवन के संस्थापक, कुलपति, १९४८ में सरदार पटेल ने ही उन्हें हैदराबाद के एजंट के तौर पे नियुक्ति की थी. </span><br />
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</span><br />
<span id="7_TRN_7t">बचपन में ही विवाह हो जाने की वजह से और अपनी पत्नी अतिलक्ष्मी में जीवन साथी न मिलने से ज्यादातर वक्त पढाई लिखाई में ही बिताया करते थे. वे शुष्क और ज्यादातर बीमार रहती थी. मुन्शी जी के साथ गृहस्थी ज्यादा आगे न बढ़ सकी और कम आयु में मृत्यु हो गयी. अपने शुषुप्त भावो को कलम के जरिये व्यक्त करते गए और गुजराती साहित्य में जुड़ गयी बेहतरीन कृतिया. </span><br />
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<span id="7_TRN_7t">कनैयालाल मुन्शी के एतिहासिक उपन्यास पाठको को जकड लेते है, पढ़ते पढ़ते पहोच जाते है लेखक की सृष्टि में - जहा पायल की रुम्जुम और तलवार की खनक सुनाई देती है, प्रेम का संगीत और राजधर्म की धजाये लहेरती है. गुजरात के समुद्र की खारास और रन की धुल, जंगल और वन्राजी एक साथ आते है. मुंजाल महेता की कूटनीति दिमाग को जकजोर देती है और रजा भीम देव, सिद्धराज जयसिंह की वीरता खून में गरमी ला देते है. पाटन, सोमनाथ और गुजरात के वैभव का जो वर्णन किया है मानो लेखक ने उस युग को जिया हो...</span><br />
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjw0Eitp_608Z4cp04i5gMULF3om0MGafRUMfwUCXyNiIkrLv6QrG5QN3bGI7EZrQwRMRzZzMa27qJfkD_7u6cqM6XsvFx75Naykcjm4fu_UF8xZ-z9MG9T2J3GYt-oO7q9XOG6IGl6dwh7/s1600/jm.jpg" imageanchor="1" style="clear: right; float: right; margin-bottom: 1em; margin-left: 1em;"><img border="0" height="320" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjw0Eitp_608Z4cp04i5gMULF3om0MGafRUMfwUCXyNiIkrLv6QrG5QN3bGI7EZrQwRMRzZzMa27qJfkD_7u6cqM6XsvFx75Naykcjm4fu_UF8xZ-z9MG9T2J3GYt-oO7q9XOG6IGl6dwh7/s320/jm.jpg" width="236" /></a><span id="7_TRN_7t"> </span><br />
<span id="7_TRN_7t"><b>श्री जवेरचंद मेघाणी - ( २८ अगस्त १८९६ से ९ मार्च १९४७) </b></span><span id="7_TRN_7t"><b> </b></span><br />
<span id="7_TRN_7t"><span id="7_TRN_bo">अगर आपने जवेरचंद मेघाणी को नहीं पढ़ा तो गुजरात की लोक संस्कृति के विषय में कुछ भी नहीं जानते. बहोत ही कम आयु में जीवनदीप बुज गया पर उनकी साहित्य की मशाल अभी भी जल रही है और युगों युगों तक जलती रहेगी. स्वतंत्रता <span id="7_TRN_ek">सेनानी और राष्ट्रीय शायर श्री जवेरचंद मेघाणीने गुजरात की लोक संस्कृति को गध्य और पद्य बद्द किया है. ज्यादातर उपन्यास सामजिक है जो अब इतिहास बन गए है. 'सत्यनी शोधमा', 'अपराधी', 'वेविशाल', 'निरंजन' जैसे उपन्यास में तत्कालीन समाज की जान्खी होती है. उनके काव्यो और गीतों में वीर रश टपकता है - हे राज मने लाग्यो कसुम्बिनो रंग... और 'शिवाजीनु <span id="7_TRN_h3">हालरडू' शिवाजी ने निन्दरू न आवे माता जीजा बाई जुलावे... आज भी रोमहर्षक है. </span></span></span></span><br />
<span id="7_TRN_7t"><span id="7_TRN_bo"><span id="7_TRN_ek"><span id="7_TRN_h3"><span id="7_TRN_hv"><span id="7_TRN_if"></span><span id="7_TRN_id"><span id="7_TRN_ie"></span></span><span id="7_TRN_i6"><span id="7_TRN_i9"></span></span><span id="7_TRN_i1"></span></span></span></span></span></span><br />
<span id="7_TRN_7t"><span id="7_TRN_bo"><span id="7_TRN_ek"><span id="7_TRN_h3"><span id="7_TRN_hv"><span id="7_TRN_if">श्री जवेरचंद मेघाणी को उनके पौत्र श्री पिनाकी मेघाणी ने जो श्रद्धा सुमन अर्पित किये है - आप भी करे</span></span></span></span></span></span><br />
<span id="7_TRN_7t"><span id="7_TRN_bo"><span id="7_TRN_ek"><span id="7_TRN_h3"><span id="7_TRN_hv"><span id="7_TRN_if"> <a href="http://www.javerchandmeghani.com/" target="_blank">जवेरचंद मेघाणी </a></span></span></span></span></span></span><br />
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<div style="color: blue;">कुछ और गुजराती लेखको और पुस्तकों के विषय में फिर कभी. न मैंने यहाँ समीक्षा की है और न आलोचना, मैंने कुछ लिखा है अपने प्रिय लेखको के लेखन और कृतित्व के विषय में, जिस तरह से एक छोटा बच्चा आडी - तिरछी रेखाए बनाकर अपने शुषुप्त भावो को व्यक्त करता है उसी तरह क्योकि हिंदी लेखन में मेरी कुछ मर्यादाये है. कोशिश कर रहा हु शुद्ध हिंदी लिखने की और ये जरुर होगा. गुजराती लेखन में जो शब्दों का वैभव आता है उस तरह से फिलहाल तो हिंदी में नहीं लिख शकता - आखिरकार एक गुजराती हु मै. </div><span id="7_TRN_7t"><span id="7_TRN_bo"><span id="7_TRN_ek"><span id="7_TRN_h3"><span id="7_TRN_hv"><span id="7_TRN_if"> </span></span></span></span></span></span><span id="7_TRN_7t"><span id="7_TRN_bo"><span id="7_TRN_ek"><span id="7_TRN_h3"><span id="7_TRN_hv"><span id="7_TRN_if"><span id="7_TRN_k4" style="background-color: blue; color: #351c75;"><span id="7_TRN_kr"><span id="7_TRN_ks"> </span></span></span></span></span></span></span></span></span><br />
<div style="color: #f1c232;"><span id="7_TRN_7t"><span id="7_TRN_bo"><span id="7_TRN_ek"><span id="7_TRN_h3"><span id="7_TRN_hv"><span id="7_TRN_if"></span><span id="7_TRN_id"><span id="7_TRN_ie"></span></span><span id="7_TRN_i6"><span id="7_TRN_i9"></span></span><span id="7_TRN_i1"></span></span></span></span></span></span></div><div style="color: #f1c232;"><span id="7_TRN_7t"><span id="7_TRN_bo"><span id="7_TRN_ek"><span id="7_TRN_h3"> </span><span id="7_TRN_fw"><span id="7_TRN_fz"></span></span></span> </span></span></div><div style="color: #f1c232;"><span id="7_TRN_7t"><span id="7_TRN_bo"></span></span></div><div style="color: #f1c232;"><br />
</div><div style="color: #f1c232;"><br />
</div><div style="color: #f1c232;"><br />
</div><div style="color: #f1c232;"><br />
</div><br />
</div>Viralhttp://www.blogger.com/profile/08141316200456711008noreply@blogger.com11tag:blogger.com,1999:blog-2363190867558855559.post-76879097705978073622012-02-09T03:43:00.000-08:002013-01-14T00:21:34.410-08:00नेट मतलब नंगई? <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div style="text-align: left;">
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
</div>
<table align="center" cellpadding="0" cellspacing="0" class="tr-caption-container" style="margin-left: auto; margin-right: auto; text-align: center;"><tbody>
<tr><td style="text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjZadGKJR2Qrbs5fS3LTP-SqfbTgxS-2SdGYjvkYzDtZzJ1saCv34x2d2blLQz9dOmggNdsorA5C77a8aFsR6wPdi3xTelZeIYeEq2IYPKj_mkztJc_aslQLg0uSFXjymdWSylreQokGVch/s1600/Jojo21.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: auto; margin-right: auto;"><img border="0" height="480" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjZadGKJR2Qrbs5fS3LTP-SqfbTgxS-2SdGYjvkYzDtZzJ1saCv34x2d2blLQz9dOmggNdsorA5C77a8aFsR6wPdi3xTelZeIYeEq2IYPKj_mkztJc_aslQLg0uSFXjymdWSylreQokGVch/s640/Jojo21.jpg" width="640" /></a></td></tr>
<tr><td class="tr-caption" style="text-align: center;">ये तसवीर एक न्यूज़ साइट्स से </td></tr>
</tbody></table>
कपिल सिब्बल साहब की उछल कूद बढ़ रही है और साथ ही सोसियल नेटवर्क का इस्तमाल करने वालो की सक्रियता भी बढ़ रही है. इन्टरनेट और ये सब नेटवर्क का इस्तमाल करने वालो की तादाद में काफी बढ़ोतरी हुई है और आगे भी ये जारी रहेगा पर हमारे भारत वर्ष में उन लोगो की संख्या इनकी तुलना में ज्यादा है जो इन्टरनेट और सोसियल नेटवर्क तो क्या कम्पूटर के बारे में भी कुछ भी नहीं जानते. अरे 'कम्पूटर' शब्द भी ढंग से बोल नहीं शकते. हाला की मैंने कोई खोज नहीं की है और नाही कोई आंकड़े प्रश्तुत करने जा रह हु. मै अपने अनुभव से ही ये लिख रहा हु.</div>
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<br /></div>
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एक दिन मै अपने कम्पूटर पे नेट सर्फिंग कर रहा था, एक न्यूज़ साईट पे था और स्क्रीन पर एक विज्ञापन दे रही लड़की की अर्धनंगी तसवीर उछल उछल कर सामने आ रही थी. पीछे मेरे एक परिचित आ कर खड़े थे. काफी समय से वो मेरा निरिक्षण कर रहे थे. मैंने उनके सामने देखा तो बोलने का मौका पाते ही कह दिया - ' आप भी ये सब देखते हो?' उनका इशारा उस विज्ञापन पर था. मैंने कहा ये एड है और मै तो समाचार देख रहा हु. मेरे ये कहेते ही वो इस तरह से मेरे सामने देखने लगा की मै कोई गधा हु और उसे भी गधा समाज रहा हु. दरसल वो ये समज रहा था की मै कोई नंगी तसवीरे देख रहा हु. उसे मालूम ही नहीं था के ये न्यूज़ साइट्स कौन सी बाला है. मै अपने आप को बहोत खुस किस्मत समजता यदि उन्हें इंटरनेट की दुनिया के बारे में कुछ भी समाज शकता. </div>
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ऐसे लोगो की संख्या काफी है जो इंटरनेट को सिर्फ मनोरंजन का साधन मानते है. इंटरनेट का व्याप बढा है ये सच है पर ये भी उतना ही सच है के बहोत से क्षेत्रो में इसका इस्तमाल नंगी तसवीरे और क्लिप्स देखने के लिया ही होता है.कई जगहों पर एक क्लिप या कुछ तसवीरे डाउन लोड करने के ५० से १०० रूपए ले लेते है. और अब तो मोबाईल कंपनिया नेट सर्फिंग की सुविधा दे रही है. </div>
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मेरे ख़याल से सभी समाचार देने वाली वेब साइट्स अर्ध नंगी तसवीरे और ऐसे ही विडिओ अप डेट करती है. कुछ तो पोर्न साइट्स की लिंक भी देती है. </div>
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उत्तर प्रदेश और अन्य प्रान्तों में विधानसभा चुनाव का प्रचार जोरो पर है और सरकार बौखला गई है. सरकार विरोधी लोगो की सक्रियता से चौक गई है. तब मै सोचता हु के कितना असर पड़ेगा इस सोसियल नेटवर्क का? </div>
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हम लोग फेस बुक, ब्लॉग और अन्य सोश्यल नेटवर्क पे आपस में मसक्कत करते रहेते है. क्रान्ति की बाते करते है और एक दूसरो को जगाते रहेते है. हम तो जागे हुए है पर जो नहीं जागे उसे कौन जगायेगा जो नेट मतलब नंगई समजते है? </div>
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Viralhttp://www.blogger.com/profile/08141316200456711008noreply@blogger.com7tag:blogger.com,1999:blog-2363190867558855559.post-82698661118065989292012-01-29T03:57:00.000-08:002012-02-03T04:29:00.265-08:00आज तक न्यूज़ चेनल और महात्मा गांधी का वध<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgpYDPWnvol4gvxOJvQtj4KDGd6kGX-mfIq2q9_sBVMmbeY6ORBNoJ4ln1xTpyZM8_aeK88_yMzdLoTvkZ9TkokG9CDpjic02grnX9bJtA0PNGlEXs62XQ8kpcJAUMTMZN2kr-8R46Wa333/s1600/aaj-tak-logo.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="288" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgpYDPWnvol4gvxOJvQtj4KDGd6kGX-mfIq2q9_sBVMmbeY6ORBNoJ4ln1xTpyZM8_aeK88_yMzdLoTvkZ9TkokG9CDpjic02grnX9bJtA0PNGlEXs62XQ8kpcJAUMTMZN2kr-8R46Wa333/s400/aaj-tak-logo.jpg" width="400" /></a></div>कल रात आज तक न्यूज़ चेनल पर महात्मा गाँधी के वध के बारे में एक विशेष कार्यक्रम प्रशारित हुआ. कार्यक्रम देखते देखते एक पुस्तक के कुछ पन्ने मेरी नजरो के सामने आने लगे. आज तक महात्मा गांधी के वध के बारे में इस तरह से जानकारी पेस कर रहा था मानो उसने कुछ नया शोध किया हो. उसने एक नाट्य रूपांतर पेस किया जिसका जिक्र 'फ्रीडम एट मीड नाईट' पुस्तक के आखरी पन्नो में फ्रेंच लेखक लेरी कोलिन्स और देमोनिक लेपियर ने किया है. ये एक नहीं दो लेखक है. जिन्होंने इस पुस्तक में भारतीय इतिहास का रस प्रद शैली में वर्णन किया है. उपन्यास की तरह लिखी गयी इस पुस्तक के हीरो है महात्मा गांधी. मै पुस्तक की तारीफ बिलकुल भी नहीं करना चाहता और न प्रचार करना चाहता हु.<br />
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<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjmW7pq8JQ7FJ6wIcYsrjdna-CeGA9cUokw3btk47fMLSjjUslq6M22dk4_wPlxAjoUmT2A3vM12rNjVsaJflbVq2o-nARwvuZ4SWftTtZ990-g0rrXasuxV-u2ooD-_pVf6z4W5L-uniL8/s1600/Covrt_art.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="400" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjmW7pq8JQ7FJ6wIcYsrjdna-CeGA9cUokw3btk47fMLSjjUslq6M22dk4_wPlxAjoUmT2A3vM12rNjVsaJflbVq2o-nARwvuZ4SWftTtZ990-g0rrXasuxV-u2ooD-_pVf6z4W5L-uniL8/s400/Covrt_art.jpg" width="263" /></a></div>आज तक वही दिखा रहा था जो इस पुस्तक में उल्लेखित है. पुस्तक की तरह चेनल ने भी वो नहीं दिखाया जो दिखाना चाहिए. महात्मा की हत्या की साजिश पेश की गई वजह नहीं. उन तथ्यों को नज़र अंदाज़ कर दिया गया जिसकी वजह से नाथू राम गोडसे ने इस वध कर्म को अंजाम दिया था. ये कभी सामने लायेंगे भी नहीं और हमें अपेक्षा भी नहीं करनी चाहिए. दिमाग घूम जाता है जब इस पुस्तक में वीर सावरकर के ऊपर तथ्य हीन आरोप लगाकर गन्दी भाषा का प्रयोग किया जाता है. मैंने एक गुजराती ब्लॉग में भी देखा था की उन महाशय ने उन पन्नो में से कोपी कर के अपने ब्लॉग में पोस्ट डाल दी मानो कोई बहोत बड़ा शोध किया हो.<br />
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<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;"></div>वीर सावरकर और गांधी जी के बीच कोई तुलना हो ही नहीं शकती, ये संभव ही नहीं है. वो वीर और विद्वान् है और हमेशा रहेंगे. सावरकर ने जितना लिखा है उतना तो महात्मा ने पढ़ा भी नहीं होगा.सावरकर ने जो यातनाए सही है वो महात्मा ने सही होती तो नाथू राम को फांसी पर लटकाना नहीं पड़ता. काश इस राष्ट्र ने महात्मा के चरखे के बजाय सावरकर के शस्त्र को अपनाया होता, तो आज ये आज तक और कल तक और परसोतक और विदेश लेखक हमारे वीर पुरुषो की धज्जीया नहीं उडा पाते.</div>Viralhttp://www.blogger.com/profile/08141316200456711008noreply@blogger.com20tag:blogger.com,1999:blog-2363190867558855559.post-36652323163034595202012-01-28T23:12:00.000-08:002012-01-30T23:52:33.561-08:00मै और मेरी पत्रकारिता...(टर्निंग पॉइंट ऑफ़ माय लाइफ १)<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
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तृतीय वर्ष बी ए के इम्तिहान के बाद रात रात भर जागा करता था और सोचता रहता था के आगे क्या होगा? एम ए किया जाये या कुछ और? सारा दिन पुस्तकालय और इधर उधर घुमने में बिताया करता था ताकी नकारात्मक विचार हावी न हो जाये. तब मेरी आयु १९ साल की थी.</div>
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और वो दिन आ गया जिसका इंतजार था. रिजल्ट आ गया. द्वितीय श्रेणी में पास भी हो गया पर वो दिमाग से निकल नहीं रहा था-आगे क्या? मै पुस्तकालय से अपनी मार्क-सीट लेकर लौट ही रहा था तब मेरे एक दोस्त ने मेरे हाथ में एक अखबारी विज्ञापन का कटिंग थमा दिया और वो अपनी मार्क-सीट लेने चला गया. <span id="7_TRN_19">वो कटिंग कटिंग नहीं मेरे जीवन का टर्निंग पॉइंट था जिसकी वजह से मै पत्रकार बन गया. ११ साल बीत गए इस क्षण को और वो मित्र का कोई संपर्क नहीं है और करना भी नहीं चाहता, सिर्फ एक बार मिला था वो-जाना की बी ऐ के बाद उसने एम् ऐ और एमफिल किया और एक स्कुल में सेवारत है और मै...??? </span><span id="7_TRN_19"> </span><br />
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<span id="7_TRN_19"> </span><span id="7_TRN_19"> गुजरात विद्यापीठ (अमदावाद) में पत्रकारिता की पढ़ाई करते समय मैंने तुरंत ही भाप लिया की ये सब पढ़ाई इम्तहान रिलेटेड ही है और नाही कुछ ज्ञानलक्षी है और न प्रेक्टिकली. ढेरो अखबार, मैगज़ीन और पुस्तक लायब्रेरी में भरे पड़े थे पर पढने के लिए वक्त ही नहीं मिल पा रहा था क्योंकी सुबह से साम तक सिर्फ लेक्चर अटेंड करने पड़ते थे. और मै वक्त निकालने लगा लेक्चर छोड़ के... अभ्यास करता रहा, समजता गया और लिखने लगा. मेरा प्रथम लेख 'मुंबई समाचार' दैनिक में प्रगट हुआ. और उसके बाद बहोत से लेख अन्य अखबारों में प्रगट हुए. तब सोचता था की मेरी ये लेखनी ही मुझे आगे ले जायेगी पर तब पता नहीं था की ये लेखनी मेरे माथे पे एक लेबल चिपका देगी और मेरा करियर तूफानी हो जायेगा. मै तो वही लिखता था जो मुझे सत्य लगता था पर पढ़ने वाले को ये कोमवादी लगता था.हाला की मै किसी भी संगठन में सामिल नहीं था और आज भी नहीं हूँ. मै तो यही सोच के पत्रकारिता के क्षेत्र में आया था की पढ़ाई के बाद कोई भी अखबारी ऑफिस में छोटी मोटी नौकरी मिल जाएगी और गुजारा हो जाएगा. पर होनी को कुछ और ही मंजूर था. ये क्षेत्र मेरे लिए इतना वक्र होगा तब मुझे ये पता नहीं था.</span></div>
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<span id="7_TRN_19"> पढ़ाई के दौरान हमसे एक सर्वे करवाया गया था, हाला की इसमें विद्या पीठ का कुछ लेना देना नहीं था. ये सर्वे एक अंग्रेजी मैगज़ीन और एक न्यूज़ चेनल के लिए एक सर्वे एजंसी ने करवाया था. पैसे देने का वादा भी किया था पर परिणाम उनके विचार से विपरीत आया तो आधे पैसे दे कर गायब हो गए. हुआ यु की तीन तीन विद्यार्थियो की टीम बनाकर एक प्रश्नावली बनवाकर गुजरात के विभिन्न मत क्षेत्रो में हमें भेजा गया. विद्यर्थीओने महेनत और लगन से काम किया. प्रश्नावलिमे सेंसेटिव प्रश्न थे फिर भी बिना शिकायत काम पूरा किया और परिणाम बी जे पी के समर्थन में जा रहा था और उनको शंका हुई की ये हमने गलत किया है. फिर उन्होंने क्रोस चेकिंग करवाई. टीम में अदला बदली करवाके सबको अलग अलग जगह भेजा गया. परिणाम फिर भी भाजपा के पक्षमे जा रहा था और हमें पुरे पैसे नहीं मिले और न किसी का उल्लेख भी किया गया. (वो गुजरात विधान सभा चुनाव २००२ का प्रे पोल था) </span></div>
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<span id="7_TRN_19">(अगर आपको मेरा आत्म कथानक पसंद आया हो तो जरूर बताए तभी ये आगे जारी रहेगा और मेरा होंसला बढेगा क्योकि आगे सेंसेटिव मुद्दे भी आयेंगे - गोधराकांड के बाद गुजरात विधानसभा चुनाव २००२, मेरे थीसिस को जान बुज के कम मार्क्स देना) </span></div>
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<table align="center" cellpadding="0" cellspacing="0" class="tr-caption-container" style="margin-left: auto; margin-right: auto; text-align: center;"><tbody>
<tr><td style="text-align: center;"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhkGr1uemHCVDzR1rTK47kk5nq-u3HVZTfiGT4o4ukgYS9k8EmoJaK3KuBnGdOB3FHIS9xno694TfrRfDUfKYehnSWpfQ9X6iW_Er0T7Zm6jQkfUn8o2NIb_uUnaZvAc4lU-8ZfLbul68ca/s1600/293548_169782113104917_100002193875352_354078_336095418_n.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: auto; margin-right: auto;"><img border="0" height="240" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhkGr1uemHCVDzR1rTK47kk5nq-u3HVZTfiGT4o4ukgYS9k8EmoJaK3KuBnGdOB3FHIS9xno694TfrRfDUfKYehnSWpfQ9X6iW_Er0T7Zm6jQkfUn8o2NIb_uUnaZvAc4lU-8ZfLbul68ca/s320/293548_169782113104917_100002193875352_354078_336095418_n.jpg" width="320" /></a></td></tr>
<tr><td class="tr-caption" style="text-align: center;"><br /></td></tr>
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<b>आज से हिंदी में लिखने का प्रारंभ. जय हिंदी. ॐ सरस्वते नमः</b><br />
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वैसे तो मैंने कभी हिंदी में इस तरह से कुछ लिखा नहीं है. हिंदी में पढ़ा बहुत है. हिंदी से गुजराती में अनुवाद का<br />
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काम भी किया है. गुजराती साप्ताहिक साधना में काम करता था तब पांचजन्य के बहोत से लेखो का गुजराती में<br />
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अनुवाद किया था पर हिंदी में ज्यादा कुछ लिखा नहीं और आज से हिंदी में लिखना शुरू कर रहा हु. अगर<br />
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कुछ भाषाकिय भूल हो तो सुजाव मिलेगा ऐसी अपेक्षा रखता हु. <br />
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<b><br />
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दिव्याजी का बहोत बहोत धन्यवाद. इन्ही की वजह से मुझे हिंदी में लिखने की प्रेरणा मिली है. और सुरेश<br />
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चिपलूनकर का भी आभार जिन्होंने मुझे उनके एक 'लेख सोनिया गाँधी के बारे में आप कितना जानते हो?' का<br />
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गुजराती में अनुवाद करने की अनुमति दी. मेरे सभी हिंदी भाषी मित्रो का तहे दिल से आभार. आप सब मेरा<br />
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होसला बढ़ाते रहेना और मय गुजराती अस्मिता को राष्ट्र भाषा में आपके सामने लाता रहूँगा.<br />
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<span style="color: red;">जय हिंद</span><br />
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<span style="color: red;">वन्दे मातरम </span><br />
<br /></div>Viralhttp://www.blogger.com/profile/08141316200456711008noreply@blogger.com7